Thursday, February 14, 2019

बाल कहानी - निक्कू का मिशन

निक्कू का मिशन
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हमेशा मस्ती करने वाला निक्कू पिछले कुछ दिनों से उदास, अकेला बैठा रहता था ,दोस्तों के साथ खेलता भी नहीं था। यह सब रोजाना शाम को पार्क में योग करने वाले कॉलोनी वाले दद्दू ने नोटिस किया। आज उन्होंने निक्कू को अपने पास बुलाकर पूछ ही लिया - " हेलो निक्कू बेटा, क्या हुआ आजकल तुम खेलते नहीं हो, उदास क्यों बैठे रहते हो ?"
निक्कू ने अपने भाव छुपाते हुए से कहा "कुछ नहीं दद्दू बस ऐसे ही"
दद्दू ने कहा "कुछ तो दिक्कत है बेटा, बताओ हम मिलकर कुछ समाधान निकालेंगे।"
दद्दू बहुत स्नेही थे। कॉलोनी में वे सभी से मित्रवत रहते थे । बड़े और बच्चे सभी उनको प्यार करते थे । सभी उनके अनुशासित आचरण के भी कायल थे।
निक्कू को भी लगा जरूर दद्दू उसकी कोई मदद कर देंगे ।
रुआंसे होते हुए उसने अपने दिल की बात बतानी शुरू कर दी- "मेरे मम्मी-पापा के रोज-रोज के झगड़ों से मैं परेशान हो गया हूँ। बात-बात पर झगड़ पड़ते हैं। आजकल मुझे लेकर कुछ ज्यादा ही झगड़ा चल रहा है।"
दद्दू "वो क्यों भला?"
निक्कू - " दद्दू पापा मुझे बोर्डिंग भेजना चाहते हैं। वो कहते हैं मैं वहाँ जाकर सुधर जाऊँगा और मम्मी नहीं भेजना चाहती है तो दोनों बहुत झगड़ते हैं और मुझे भी बहुत डाँट खानी पड़ती है।मुझसे  कोई प्यार नहीं करता।" रोने जैसा मुँह हो गया निक्कू का!
दद्दू ने कहा "बस इतनी सी बात "
निक्कू को मन ही मन आश्चर्य हुआ यह कोई इतनी सी बात है!!
निक्कू "दद्दू अब आप ही बताइए मैं क्या करूँ , कहाँ जाऊँ?"
दद्दू ने उसे समझाते हुए कहा "बेटा यह बात समझो वो आपको प्यार करते हैं इसीलिये आपकी भलाई चाहते हैं ,आपको अच्छा बनाना चाहते हैं।"
निक्कू "वो कैसे?"
दद्दू बोले-"अच्छा बताओ तुम सबसे ज्यादा किसको प्यार करते हो?"
निक्कू ने कहा -"मम्मी को "
दद्दू - "तो क्या तुम चाहोगे तुम्हारी मम्मी का कुछ भी बुरा हो जैसे वो बीमार पड़ जाये या वो तुम्हें छोड़कर चली जाये?"
निक्कू तपाक से बोला "नहीं$$ , कभी नहीं मैं उनके बिना नहीं रह सकता।"
दद्दू को सही मौका लगा अपनी बात समझाने का वे बोले -- " बेटा, जिससे हम प्रेम करते हैं उनको हम हानि नही पहुंचा सकते, हमेशा उनके भले के लिए ही सोचते हैं और उनके लिए कुछ भी कर सकते हैं, है ना?"
निक्कू ने कहा-"हाँ सही कहा आपने"
दद्दू-" तो फिर तुम भी कुछ करो अपने मम्मी के लिए"
निक्कू- " पर क्या करूँ कि पापा मम्मी मुझे प्यार करें?"
दद्दू - " वो प्यार करते हैं इसीलिए आपको अच्छा बनाना चाहते हैं। बस तुम वो जैसा चाहते हैं वैसा करो !"
निक्कू "कैसे?"
दद्दू -"हर काम अपने नियत समय पर करो, समय पर उठो, समय पर होम वर्क करो, समय पर खेलो सबसे बड़ी बात प्रेम से हँसकर बात करो आदि आदि। इससे तुम्हारी दिनचर्या निश्चित रहेगी और तुम्हारे पापा-मम्मी की शिकायत भी दूर हो जाएगी। तुम मुझे कल बताना कि तुमने अपना मिशन कितना शुरू किया, देखना जल्द ही सब ठीक हो जायेगा। अभी मैं चलता हूँ ।"
कहकर दद्दू पार्क से चले गये।
दद्दू की बातें सोचता-सोचता निक्कू भी घर आ गया।
निक्कू ने उसी रात को निश्चय कर लिया कि कल सुबह से ही मिशन शुरू कर दूंगा।
ऐसा ही हुआ भी निक्कू समय पर उठने से लेकर रात को सोने तक सब ठीक से करने लगा और ऐसे करते-करते सात दिन हो गये।
इस दौरान वह रोज पार्क भी जाता था ,पर दद्दू नहीं मिलते थे। आज उसने दद्दू के साथ वालो को पूछ ही लिया दद्दू के बारे में !
तब किसी ने बताया कि उनकी तबियत ठीक नहीं है, बस इसीलिये वो नहीं आ पाते हैं।
निक्कू दौड़ा-दौड़ा घर पहुंचा और पापा मम्मी को साथ लेकर दद्दू के घर मिलने पहुंच गया।
वहाँ पहुँचते ही निक्कू दद्दू से लिपट गया और बोला "दद्दू आप कैसे हो ?"
निक्कू को मम्मी-पापा के साथ देख दद्दू मुस्कराये और बोले "अरे निक्कू बेटा मैं ठीक हूँ, तुम बताओ  तुम्हारा  मिशन पूरा हुआ या नही?"
निक्कू ने कहा "हाँ दद्दू चल रहा है ।"
निक्कू के पापा ने जानना चाहा कौनसा मिशन ?
तब दद्दू ने निक्कू के पापा को पूछा पहले आप यह बताओ क्या आप निक्कू को बोर्डिंग तो नहीं भेज रहे हो ना?
निक्कू के पापा "अभी तो कुछ सोचा नहीं है लेकिन आजकल तो यह थोड़ा ठीक हुआ है , पर आप क्यों पूछ रहे हैं ?"
निक्कू की मम्मी तिरछी निगाह से देखकर रह गई।
दद्दू ने सारी बात बताई । निक्कू ने मिशन शुरू किया है 'अपने में सुधार का' और 'प्रेम से रहने का' तो अब आप ही बताइए इसका मिशन कैसा चल रहा है ?"
निक्कू के मम्मी-पापा को बेटे पर गर्व भी हुआ और थोड़ी हँसी भी आ गई । निक्कू आश्चर्य से देखने लगा कि हँस क्यों रहें हैं ।
निक्कू के पापा ने निक्कू की सहायता के लिए दद्दू को धन्यवाद दिया और निक्कू से कहा-" हम दोनों  आपस में झगड़ा नहीं करेंगे, हम सभी प्रेम से रहेंगे और ...और तुम जब इतने समझदार हो ही गए हो तो अब तुम्हें बोर्डिंग भी नहीं भेजेंगे।"
यह सुनकर "हुर्रे हुर्रे मेरा मिशन पूरा हुआ!" कहकर निक्कू दद्दू की आँखों में देख मुस्कुराने लगा ।
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डॉ. अनिता जैन "विपुला"
उदयपुर

1 comment:

  1. बच्चे स्वयं अपने में सुधार लाएं , सीख देती हुई अच्छी कहानी ।

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